‘साकेत’ में उर्मिला के विरह-वर्णन का भावात्मक एवं आध्यात्मिक विश्लेषण

Authors

  • डॉ. जयलक्ष्मी Author

DOI:

https://doi.org/10.56614/wgvqjz60

Abstract

हिंदी साहित्य में कवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित ‘साकेत’ (1931) रामकथा पर आधारित एक अद्वितीय एवं कालजयी महाकाव्य है। यह एक सर्गबद्ध रचना है, इसमें कूल सर्ग 12 है।गुप्त जी के समस्त कृतियों में ‘साकेत’ को सर्वाधिक गौरवशाली स्थान प्राप्त है। साकेत हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि है। ‘साकेत’ प्रबंधकाव्य है, अतएव उसकी शैली भी प्रबंधात्मक है। काव्य की भाषा खड़ीबोली है। इस काव्य की कथा उर्मिला और लक्षमण के संयोग सुख से प्रारंभ होती है, और वनवास के बाद समाप्त हो जाती है। ‘साकेत’ बारह सर्गों का महाकाव्य तथा वृहद प्रबंधकाव्य है। ‘साकेत’ का कथानक रामकथा पर आधारित है लेकिन रामकथा का वर्णन करना कवि का उद्देश्य नहीं है। साकेत का मुख्य उद्देश्य रामकथा में उपेक्षित पात्रों को प्रकाश में लाना है। ‘साकेत’ की कथा रामायण की ही कथा है। अयोध्या का पुराना नाम ‘साकेत’ था।

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Published

2024-03-07

How to Cite

‘साकेत’ में उर्मिला के विरह-वर्णन का भावात्मक एवं आध्यात्मिक विश्लेषण. (2024). हिन्द खोज: अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी पत्रिका (HIND KHOJ: Antarrashtriya Hindi Patrika), ISSN: 3048-9873, 2(1), 34-39. https://doi.org/10.56614/wgvqjz60